एक पुरुष मरीज जिनकी उम्र 68 वर्ष है। मेरे पास अपनी कमर दर्द जिससे वो कुछ 4 महीने से परेशान थे, का इलाज करवाने आये। उन्हें किसी फिसियोथेरिपिस्ट ने मेरा पता दिया था।
अपनी बीमारी को ले कर वो बहुत परेशान थे, बोले कि इस कमर दर्द से बहुत तंग हूँ, आह जरा सा हिलने पर ही चीख निकल जाती है। चलना फिरना बिल्कुल दुश्वार हो गया है। दर्द की गोली से भी थोड़ी देर ही आराम रहता है। अब जहां से हो सका कोशिश कर रहा हूँ कि आराम आ जाये पर कुछ बात नहीं बन रही अब आप कुछ करो। पर अब मुझे डर लगता है कि कहीं भी आने जाने में तकलीफ होगी तो इसलिए मैं डर डर के चलता हूँ कि अगर ये बढ़ गया तो बहुत परेशान हो जाऊंगा।अब हाल ये है कि मैं अपने काम भी नहीं कर पा रहा हूँ। मैने पूछा फिर आपके लिये काम कौन करता है। तो बोले कि बेटा बहु तो नोकरी करते हैं मेरी वाइफ हैं घर मे वही मदद करती हैं। पर अब मुझे लगता है कि जैसे मैंने देखा है कि कमर के कारण हमारे एक रिलेटिव बिस्तर पर आ गए और अब परिवार पर बोझ जैसे बन गए हैं, तो मुझे ऐसे नहीं होना है।
मैंने थोड़ा और मन जानने के लिए बात आगे बढ़ाई की ऐसे क्यों सोचते हो और परिवार होता किसलिए है तो बोले, आपकी बात तो ठीक है डॉक्टर साहब पर थोड़े दिन की बात हो तो निभ जाए पर परमानेंट अगर बिस्तर पे आ गया तो मैं वाईफ पर भी बोझ बन जाऊंगा। मुझे तो अभी महसूस होता है कि वो भी तो बूढ़ी हो रही है और मेरी वजह से इतना चलना फिरना पड़ता है कभी पानी कभी खाना देना और मैं नही चाहता कि उसे मेरी वजह से बुढ़ापे में ये दिन देखने पड़े उसने मेरी बहुत सेवा की है।
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Hepar Sulph 30 दी गई जिसने उन्हे आराम दिया।
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