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Gerund

To limit oneself in requirements, desires and actions.

आवश्यकताओं, इच्छाओं व क्रियाकलापों में स्वयं को सीमित रखना।

अर्थात यह व्यक्ति स्वयं की इच्छाओं और आवश्यकताओं में सीमित रखता है क्योंकि वह जो भी कुछ उसके पास उपलब्ध है, वह उस सबसे संतुष्ट है। वह महत्वाकांक्षी नहीं है उसकी बहुत अधिक आकांक्षाएं/इच्छाएं नहीं हैं, उसको लग रहा है जो कुछ भी उसके पास है वह काफी है, और वह उसकी आवश्यकताएं पूरी करने के लिए पर्याप्त है इसलिए उसको और अधिक कोई परिश्रम या प्रयास करने की आवश्यकता नहीं है वह इस सबसे ही संतोष को प्राप्त कर रहा है।

रोग की अवस्था में भी व्यक्ति का संतुष्ट रहना एक अजीब सी बात है किंतु हमने देखा है काफी बार रोग से ग्रस्त व्यक्ति ऐसा कहते है डाक्टर साहब अब हमें कुछ और नही चाहिए, जिन्दगी सुकून से चल रही है, दवा खाकर जी रहे है पर फिर भी सब ठीक चल रहा है, ऐसा ही चलता रहे तो भी कोई समस्या नही है।

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